आज जब देश में बेकारी, भुखमरी और नाइंसाफी के साथ असमानता दिखाई पड़ती है तो अहसास होता है कि हम भारतीय अपने कर्तव्यों का ठीक से निर्वहन नहीं कर पाए। हममें से कई लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हो गए। जो राशि जनता के हित में खर्च होनी थी या जिनका देश के विकास से वास्ता था वह मंत्रियों, अफसरों, ठेकेदारों और उनके गठजोड़ वाले समूह के पेट में चला गया।